इस फसल की खेती से नोटों से खचाखच भर जाएगाी तिजोरी, आप भी इस बार जरूर करे इस फसल की खेती
नई दिल्ली :- कपास की खेती किसानों के लिए एक लाभकारी विकल्प बन सकती है, खासकर उन क्षेत्रों में जहां ज्यादा सिंचाई की व्यवस्था नहीं है। यह फसल कम पानी में भी अच्छी उपज देती है और इसके लिए अत्यधिक देखरेख की जरूरत नहीं होती। कृषि विशेषज्ञ दिनेश जाखड़ के अनुसार, यदि वैज्ञानिक तरीके अपनाए जाएं, तो इससे किसानों को अच्छा उत्पादन और मुनाफा मिल सकता है।
खेत की तैयारी: खरपतवार और कीटों से पहले ही निपटें
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कपास की खेती के लिए खेत की तैयारी बेहद जरूरी है।
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खेत को 2-3 बार जुताई करके खरपतवार से मुक्त किया जाना चाहिए।
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पहली जुताई मिट्टी पलटने वाले हल से करें।
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जुताई के बाद पलेवा करें, फिर एक-दो बार और जुताई कर पाटा लगाएं।
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दीमक की समस्या वाले खेतों में बुवाई से पहले क्यूनालफॉस 1.5% की मात्रा 6 किलो प्रति बीघा मिट्टी में मिलाएं।
उन्नत किस्में: बेहतर उपज के लिए सही बीज चुनें
बीटी कपास की बीज दर एक बीघा के लिए 475 ग्राम (1 पैकेट) पर्याप्त होती है। बीज के साथ 10% नॉन-BT बीज खेत की सीमा पर लगाना जरूरी है। प्रमुख बीटी कपास किस्मों में ये नाम शामिल हैं:
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आरसीएच 650 बीजी
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एमआरसी 7351 बीजी
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जेकेसीएच 1947 बीजी
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बायोसीड 6581 बीजी
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कावेरी 999 बीजी
इन किस्मों का चयन क्षेत्र की जलवायु और मिट्टी के अनुसार करना चाहिए।
बीज उपचार: रोग से बचाव और बेहतर अंकुरण
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जड़ गलन रोग से बचाव के लिए 6 किलो जिंक सल्फेट प्रति बीघा मिट्टी में डालें।
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बीजों को कार्बोक्सिन 0.3% या कार्बेन्डाजिम 0.2% (2 ग्राम प्रति लीटर पानी) में मिलाकर उपचारित करें।
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बीजों को सुखाने के बाद ट्राइकोडर्मा या सूडोमोनास से उपचारित करें (10 ग्राम प्रति किलो बीज)।
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कतारों की दूरी 108 सेमी, और पौधे से पौधे की दूरी 60 सेमी रखें।
सिंचाई और कीट नियंत्रण: समय पर देखभाल से अच्छा उत्पादन
सिंचाई:
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पहली सिंचाई बुवाई के 35-40 दिन बाद करें।
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आगे की सिंचाई 25-30 दिन के अंतराल पर करें।
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फसल की जरूरत के अनुसार पानी दें — ज्यादा पानी नुकसानदेह हो सकता है।
चूसक कीट नियंत्रण:
बीटी कपास बॉलवर्म के खिलाफ कारगर है, लेकिन सफेद मक्खी, माहू, थ्रिप्स और जेसिड जैसे कीटों के लिए कीटनाशकों का छिड़काव जरूरी है:
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इमिडाक्लोप्रिड 17.8% SL – 150 मिली
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थायोमेथॉक्साम 25% WG – 100 ग्राम
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फिप्रोनिल 5% SC – 1500 मिली
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बुप्रोफेजिन 25% SC – 1000 मिली
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प्रोपरगाइट 57% EC – 1000 मिली
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डायकोफॉल 18.5% EC – 1500 मिली
(यह मात्रा प्रति हेक्टेयर के अनुसार दी गई है)
उपज बढ़ाने के लिए चुनिंदा चुगाई और अवशेष प्रबंधन
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फसल पकने के बाद 4-5 बार चुगाई करें।
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चुगाई के बाद पौधों के अवशेषों को तुरंत हटा दें, ताकि अगली फसल में कीटों का असर न हो।
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यदि उचित तकनीक अपनाई जाए तो कपास की उपज 5 से 7.5 क्विंटल प्रति बीघा तक प्राप्त की जा सकती है।
उर्वरक और खरपतवार नियंत्रण: पोषण और स्वच्छता दोनों जरूरी
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खेत में जैविक खाद, विशेषकर गोबर की सड़ी खाद, अच्छी मात्रा में डालें।
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नत्रजन 22.5 किलो और फॉस्फोरस 5 किलो प्रति बीघा दें।
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नत्रजन की मात्रा मिट्टी परीक्षण के अनुसार घटाई-बढ़ाई जा सकती है।
खरपतवार नियंत्रण:
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पहली निराई-गुड़ाई पहली सिंचाई के बाद करें।
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पेन्डीमेथालिन 30% EC, 1.25 लीटर को 125-150 लीटर पानी में मिलाकर छिड़कें।