नई दिल्ली

डेयरी मे मालिकों को सबसे ज्यादा पसंद है ये पांच नस्ल की भैंस, दूध से लबालब भर देती हैं बाल्टियां

नई दिल्ली :- भारत का डेयरी उद्योग तेजी से विस्तार कर रहा है, और इसके साथ ही दूध उत्पादन में भी भारी वृद्धि हो रही है। इन्वेस्टेक हाउस की एक रिपोर्ट के मुताबिक, भारत का दूध उत्पादन 2030 तक 30 करोड़ टन तक पहुँच सकता है। USDA के अनुसार, भविष्य में भारत में दूध की खपत में वृद्धि होने वाली है, जिससे डेयरी किसानों के लिए यह एक लाभकारी व्यवसाय बन सकता है। सस्ते पशु आहार और जमीन की उपलब्धता के कारण डेयरी उद्योग किसानों के लिए आदर्श विकल्प बन सकता है। हालांकि, इस व्यवसाय को शुरू करने से पहले, डेयरी के लिए उपयुक्त भैंसों की नस्लों के बारे में जानना आवश्यक है। हम आपको यहां कुछ प्रमुख भैंस नस्लों के बारे में जानकारी देने जा रहे हैं।

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  1. मुर्रा भैंस
    मुर्रा भैंस की नस्ल को डेयरी व्यवसाय के लिए सबसे उपयुक्त माना जाता है। इसके सींग छोटे और मुड़े हुए होते हैं, और इसकी गर्दन सामान्य भैंसों से बड़ी होती है। यह भैंस एक ब्यांत में 1,500 से 2,500 किलो तक दूध देती है, और हर दिन 19 लीटर तक दूध का उत्पादन कर सकती है। इसके दूध में 7 से 9 प्रतिशत तक फैट पाया जाता है। मुर्रा भैंस का पहला बछड़ा 45 से 50 महीने की उम्र में होता है, और इसका गर्भधारण अंतराल 450 से 500 दिन होता है।

  2. जाफराबादी भैंस
    जाफराबादी भैंस की नस्ल मुख्य रूप से गुजरात और आसपास के राज्यों में पाई जाती है। इस नस्ल की भैंस का सिर बड़ा होता है और इसकी पहचान हल्के तांबे रंग से की जा सकती है। एक ब्यांत में, यह भैंस 1,000 से 1,200 लीटर तक दूध दे सकती है। यह भैंस 50 महीने की उम्र में अपना पहला बछड़ा देती है।

  3. मेहसाना भैंस
    मेहसाना भैंस की शरीर संरचना मुर्रा भैंस जैसी होती है। यह भैंस एक ब्यांत में 1,200 से 1,500 लीटर तक दूध दे सकती है। मेहसाना भैंस का पहला बछड़ा 45 से 50 महीने में होता है, और यह दूध उत्पादन के मामले में काफी लाभकारी है।

  4. सुरती भैंस
    सुरती भैंस को चांदी जैसे ग्रे रंग में पहचाना जा सकता है, जबकि इसकी त्वचा काली और भूरे रंग की होती है। इसके सींग दरांती के आकार के होते हैं और ये मध्यम लंबाई के होते हैं। सुरती भैंस एक ब्यांत में 900 से 1,300 लीटर तक दूध देती है, जिसमें 8 से 12 प्रतिशत तक फैट हो सकता है। यह भैंस 40 से 50 महीने में अपना पहला बछड़ा देती है।

  5. पंढरपुरी भैंस
    पंढरपुरी भैंस की संरचना अन्य भैंसों से अलग होती है, और इसके सींग 45 से 50 सेंटीमीटर लंबे होते हैं। इसके सिर पर सफेद निशान भी होते हैं। यह भैंस एक ब्यांत में 1,700 से 1,800 किलो तक दूध का उत्पादन कर सकती है, और यह भी एक लाभकारी नस्ल है।

इन भैंस नस्लों के बारे में जानकारी के साथ, डेयरी व्यवसाय के लिए एक उपयुक्त नस्ल का चयन करके, किसान बेहतर लाभ कमा सकते हैं और अपने व्यापार को बढ़ा सकते हैं।

Author Komal Tanwar

नमस्कार मेरा नाम कोमल तंवर है. मैं 2022 से खबरी एक्सप्रेस पर बतौर कंटेंट राइटर काम करती हूँ. मैं प्रतिदिन हरियाणा की सभी ब्रेकिंग न्यूज पाठकों तक पहुंचाती हूँ. मेरी हमेशा कोशिश रहती है कि मैं अपना काम अच्छी तरह से करू और आप लोगों तक सबसे पहले न्यूज़ पंहुचा सकूँ. जिससे आप लोगों को समय पर और सबसे पहले जानकारी मिल जाए. मेरा उद्देशय आप सभी तक Haryana News सबसे पहले पहुँचाना है.

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