नई दिल्ली

सिर्फ रजिस्ट्री से नहीं साबित होगा मालिकाना हक, सुप्रीम कोर्ट के फैसले ने बदल दिए प्रॉपर्टी नियम

नई दिल्ली :- अगर आप जमीन या मकान खरीदने की योजना बना रहे हैं, तो यह खबर आपके लिए बेहद जरूरी है। सुप्रीम कोर्ट ने हाल ही में एक अहम फैसला सुनाया है, जिसमें कहा गया है कि केवल रजिस्ट्री (पंजीकरण) के आधार पर किसी प्रॉपर्टी पर मालिकाना हक साबित नहीं किया जा सकता। अब किसी भी प्रॉपर्टी की वैध ओनरशिप के लिए पूरी दस्तावेज़ी चेन की जांच जरूरी हो गई है। यह फैसला रियल एस्टेट सेक्टर के लिए एक बड़ा संदेश है और भविष्य में विवादों से बचने के लिए जरूरी कदम भी।

supreme Court

क्या है मामला?

यह केस तेलंगाना की एक जमीन से जुड़ा था, जहां वर्ष 1982 में एक कोऑपरेटिव हाउसिंग सोसायटी ने बिना रजिस्टर्ड एग्रीमेंट के जमीन खरीदी और आगे बेच दी। बाद में अंतिम खरीदारों ने रजिस्ट्री और कब्जे के आधार पर अपने मालिकाना हक का दावा किया, लेकिन सुप्रीम कोर्ट ने स्पष्ट किया कि जब तक बिक्री का वैध एग्रीमेंट और टाइटल चेन मौजूद नहीं है, तब तक केवल रजिस्ट्री या कब्जा पर्याप्त नहीं माने जाएंगे।

रजिस्ट्री क्या है और यह क्यों काफी नहीं?

रजिस्ट्रेशन केवल एक प्रशासनिक प्रक्रिया है, जिसमें प्रॉपर्टी ट्रांजैक्शन को सरकारी रिकॉर्ड में दर्ज किया जाता है। इसका मकसद पारदर्शिता और टैक्स वसूली सुनिश्चित करना होता है। लेकिन यह किसी की वैध मालिकाना हक की अंतिम पुष्टि नहीं करता। अगर जिसने प्रॉपर्टी बेची है, उसके पास खुद वैध दस्तावेज नहीं हैं, तो आपकी रजिस्ट्री भी अमान्य मानी जा सकती है।

क्या करना जरूरी है?

यदि आप वास्तव में किसी संपत्ति के वैध मालिक बनना चाहते हैं, तो केवल रजिस्ट्री कराना काफी नहीं है। आपको पूरी ओनरशिप चेन की जांच करनी होगी यानी प्रॉपर्टी से जुड़े सभी दस्तावेजों की वैधता सुनिश्चित करनी होगी। सुप्रीम कोर्ट का जोर इस बात पर है कि प्रॉपर्टी की खरीद-फरोख्त की हर कड़ी कानूनी रूप से वैध होनी चाहिए।

जरूरी दस्तावेज जिनकी जांच करें:

  1. सेल डीड (Sale Deed) – यह मुख्य दस्तावेज है जो बिक्री को साबित करता है।

  2. टाइटल डीड (Title Deed) – इससे पता चलता है कि संपत्ति का असली मालिक कौन है।

  3. म्यूटेशन सर्टिफिकेट – लोकल नगर निकाय में नाम ट्रांसफर का प्रमाण।

  4. एनकंब्रेंस सर्टिफिकेट – यह दिखाता है कि संपत्ति पर कोई कानूनी विवाद या लोन नहीं है।

  5. प्रॉपर्टी टैक्स रसीदें – नियमित टैक्स भुगतान का सबूत।

  6. पजेशन लेटर – कब्जा मिलने की पुष्टि करता है।

  7. वसीयत या गिफ्ट डीड – यदि संपत्ति विरासत में मिली हो, तो ये जरूरी होते हैं।

क्या बदलेगा इस फैसले के बाद?

  • खरीदारों को सतर्क रहना होगा: अब सिर्फ रजिस्ट्रेशन देख कर प्रॉपर्टी खरीदना खतरनाक हो सकता है।

  • एजेंटों की जिम्मेदारी बढ़ेगी: उन्हें पूरे दस्तावेज़ी प्रोसेस को मजबूत बनाना होगा।

  • कानूनी सलाह अनिवार्य: किसी भी संपत्ति सौदे से पहले वकील से दस्तावेजों की जांच जरूर कराएं।

  • ओनरशिप चेन हो पूरी और वैध: शुरुआती मालिक से लेकर वर्तमान तक की कड़ियों में कोई कानूनी खामी नहीं होनी चाहिए।

Rohit

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