हरियाणा में इन गांवों पर दिया जाएगा विशेष ध्यान, नायब सरकार ने उठाया ये बड़ा कदम
चंडीगढ़ :- हरियाणा सरकार ने राज्य में गिरते लिंगानुपात को सुधारने के लिए ठोस कदम उठाने शुरू कर दिए हैं। इस दिशा में एक नई पहल के तहत उन गांवों की पहचान की जाएगी, जहां लिंगानुपात 700 से भी कम है। इन गांवों में विशेष रणनीतियों के साथ काम करते हुए बेटियों के जन्म को प्रोत्साहित किया जाएगा।
हाल ही में अतिरिक्त मुख्य सचिव (स्वास्थ्य) सुधीर राजपाल की अध्यक्षता में आयोजित राज्य टास्क फोर्स की समीक्षा बैठक में कई अहम निर्णय लिए गए। बैठक में यह स्पष्ट किया गया कि 2019 से मार्च 2025 तक के आंकड़ों के आधार पर प्रत्येक गांव का लिंगानुपात एकत्र किया गया है। जिन गांवों में लिंगानुपात अत्यधिक कम है, उन पर प्राथमिकता के आधार पर विशेष योजनाएं लागू की जाएंगी।
राज्य टास्क फोर्स के संयोजक डॉ. वीरेंद्र यादव ने जानकारी दी कि नागरिक पंजीकरण प्रणाली (CRS) पोर्टल के अनुसार 22 अप्रैल 2025 तक राज्य का औसत लिंगानुपात 911 दर्ज किया गया है। बैठक में यह भी निर्णय लिया गया कि भविष्य में लिंगानुपात सुधार के लिए क्या-क्या कदम उठाए जाने हैं, उसकी व्यापक समीक्षा की जाएगी।
इसके अलावा, बैठक में यह भी बताया गया कि सोनीपत जिले के औषधि नियंत्रण अधिकारी को अधूरी रिपोर्ट जमा करने के कारण कारण बताओ नोटिस जारी किया गया है। साथ ही, पीसी-पीएनडीटी और एमटीपी अधिनियम के उल्लंघन पर एक बीएएमएस डॉक्टर का लाइसेंस हरियाणा मेडिकल काउंसिल द्वारा रद्द कर दिया गया है।
पिछले एक महीने में राज्य के कुल 1,500 एमटीपी केंद्रों में से 379 को बंद कर दिया गया है, जबकि 16 केंद्रों के पंजीकरण को अस्थायी रूप से निलंबित किया गया है। इसके अलावा, राज्य में एमटीपी किट की बिक्री में भी उल्लेखनीय गिरावट दर्ज की गई है।
विशेष शिविरों के आयोजन की भी योजना बनाई गई है। 25 अप्रैल 2025 को लिंगानुपात में अत्यधिक पिछड़े गांवों में ‘बेटी बचाओ, बेटी पढ़ाओ’ अभियान के तहत सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्रों द्वारा विशेष शिविर लगाए जाएंगे। इन शिविरों का संचालन वरिष्ठ चिकित्सा अधिकारी एवं महिला एवं बाल विकास विभाग के अधिकारी मिलकर करेंगे। वहीं, राज्य स्तर पर नियुक्त निदेशक अपने-अपने जिलों में जाकर कम से कम दो गांवों को कवर करेंगे।
साथ ही, राज्य औषधि नियंत्रक कार्यालय के अधिकारियों को भी जिलों में तैनात कर दिया गया है। ये अधिकारी एमटीपी किट की अवैध बिक्री रोकने के लिए फील्ड में सक्रिय भूमिका निभाएंगे। सभी जिलों में औषधि नियंत्रण अधिकारियों द्वारा बिक्री की जांच की जाएगी, और सिविल सर्जन लगातार इस प्रक्रिया की निगरानी करेंगे।
यह पहल न केवल लिंगानुपात में सुधार लाने की दिशा में अहम साबित होगी, बल्कि बेटियों के प्रति समाज की सोच बदलने में भी सहायक होगी।