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Toll Tax News: इन वाहन चालकों के लिए हुआ बड़ा ऐलान, अब नहीं देना पड़ेगा टोल टैक्स

Toll Tax : भारत में सड़क परिवहन को सुगम और सुरक्षित बनाने के लिए तेजी से नए हाईवे और एक्सप्रेसवे बनाए जा रहे हैं। ये सड़कें न केवल यात्रा के समय को कम करती हैं, बल्कि आर्थिक विकास में भी अहम भूमिका निभाती हैं। नए हाईवे बनने से यात्रा की गति बढ़ती है और लोगों को आसानी से अपने गंतव्य तक पहुंचने में मदद मिलती है। लेकिन, इसके साथ ही टोल टैक्स की समस्या भी बढ़ती जा रही है। जब लोग इन टोल बूथों पर पहुंचते हैं, तो अक्सर वे टोल टैक्स देने से बचने की कोशिश करते हैं।

TOLL TAX

टोल टैक्स: यह क्या है?टोल टैक्स से बचने के उपाय

कई बार लोग सोचते हैं कि वे टोल टैक्स दिए बिना टोल बूथ पार कर सकते हैं। हालांकि, ऐसा संभव है, लेकिन इसके लिए कुछ शर्तें हैं। NHAI के एक पुराने ट्वीट के अनुसार, अगर टोल बूथ पर वाहनों की लाइन 100 मीटर लंबी हो जाती है, तो उन वाहनों को बिना टोल टैक्स के निकाला जा सकता है। इससे न केवल यातायात नियंत्रित होता है, बल्कि यात्रियों को भी सुविधा मिलती है।

NHAI टोल संग्रह नीति

NHAI (NHAI टोल नियम) ने 2021 में एक ट्वीट में बताया था कि टोल भुगतान के लिए अधिकतम समय 10 सेकंड (टोल 10 सेकंड नियम) तय किया गया है। इसका मतलब है कि अगर टोल बूथ पर भुगतान लेने में 10 सेकंड से अधिक समय लगता है, तो वाहनों को टोल बूथ से निकाला जा सकता है। यह नियम खास तौर पर पीक ऑवर्स के दौरान लागू होता है। टोल लेन में 100 मीटर की दूरी पर एक पीली पट्टी खींची जाती है, ताकि जब वाहनों की लाइन इस लाइन से बाहर जाने लगे, तो टोल फ्री कर दिया जाए। जब वाहनों की लाइन फिर से 100 मीटर के अंदर आ जाती है, तो टोल टैक्स फिर से वसूला जाने लगता है।

60 किलोमीटर का नियम

सड़क परिवहन एवं राजमार्ग मंत्रालय का कहना है कि शुल्क नियम 2008 के अनुसार किसी भी राजमार्ग पर दो टोल प्लाजा के बीच की दूरी 60 किलोमीटर होनी चाहिए। केंद्रीय मंत्री नितिन गडकरी ने इसकी पुष्टि की है। उनका लक्ष्य है कि राजमार्ग पर 60 किलोमीटर के अंदर केवल एक टोल प्लाजा हो। हालांकि मंत्रालय ने यह भी स्पष्ट किया है कि जगह की कमी, यातायात और भीड़भाड़ के कारण कभी-कभी 60 किलोमीटर के दायरे में दो टोल प्लाजा हो सकते हैं।

टोल टैक्स और रोड टैक्स में अंतर

टोल टैक्स और रोड टैक्स में बहुत अंतर है। रोड टैक्स वह राशि है जो वाहन चालक आरटीओ (राज्य सड़क परिवहन कार्यालय) को देता है। यह राशि राज्य के अंदर विभिन्न सड़कों के इस्तेमाल के लिए होती है। जबकि, टोल टैक्स विशेष रूप से राजमार्गों या एक्सप्रेसवे पर वसूला जाता है। यह राशि किसी एक राज्य सरकार को नहीं जाती बल्कि राजमार्ग बनाने वाली कंपनी या NHAI द्वारा वसूली जाती है।

Sagar Parmar

हेलो दोस्तों मेरा नाम सागर परमार है मैं खबरी एक्सप्रेस पर बतौर कंटेंट राइटर के रूप में जुड़ा हूँ मेरा लक्ष्य आप सभी को हरियाणा व अन्य क्षेत्रों से जुडी खबर सबसे पहले पहुंचना है

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