Gold Resale News: पुराने गहने बेचने से पहले दिमाग में बैठा ले ये बात, नहीं तो बनेगा घाटे का सौदा
नई दिल्ली :- भारत ही नहीं दुनियाभर के लोगों के जुड़ाव सोने से हमेशा से रहा है. इसे मुश्किल वक्त का सबसे अच्छा साथी माना जाता है, क्योंकि इसकी कीमत लगातार बढ़ती रहती है और इसे कैश भी काफी आसान होता है. इन दिनों ईटीएफ और म्यूचुअल फंड्स के माध्यम से भी सोना खरीदने का प्रचलन शुरू हुआ है, मगर आज से कुछ समय पहले तक लोग गहने खरीदकर निवेश करते थे. हो सकता है आपके पास भी आपकी मां, दादी और उनसे भी पहले की पीढ़ियों का सोना हो. लेकिन अब गहनों के रूप में रखा सोना कैश कराने में आपको मुश्किलों का सामना करना पड़ सकता है और संभव है कि उसकी कीमत वैसी न मिले, जो बाजार में है. वैसे बता दें कि इस समय 22 कैरेट सोने की कीमत 8,000 रुपये प्रति ग्राम के रिकॉर्ड स्तर पर पहुंच चुकी है. लेकिन जब आप गहने बेचने निकलते हैं तो इसके मार्केट प्राइस और रिटेल प्राइस में अंतर होता है. यह अंतर निर्माण की लागत, डिजाइन और रिटेलर के मार्कअप के कारण होता है.
मेकिंग चार्ज के अलावा कहां-कहां कटौती?
इकॉनमिक्स टाइम्स ने इसी विषय पर एक रिपोर्ट प्रकाशित की है, जिसमें पूरा हिसाब किताब दिया गया है. उस रिपोर्ट के मुताबिक, सोने को बेचने या बदलने पर कुछ कटौतियां होती हैं. हम उसी रिपोर्ट के आधार पर आपको यहां पूरी कैलकुलेशन दे रहे हैं. 16 ग्राम 22 कैरेट सोने के गहने की कीमत 9 मार्च 2025 के हिसाब से 8,000 रुपये प्रति ग्राम के हिसाब से 1,28,000 रुपये होगी. लेकिन अगर आप बेचेंगे तो आपको इतना पैसा मिलेगा नहीं. कितना मिलेगा? चलिए इस कैलकुलेशन से समझते हैं-
- मेकिंग चार्ज का नुकसान (10-25%): मान लीजिए, आपके मूल खरीद का 15% यानी 19,200 रुपये वापस नहीं मिलता.
- मार्केट प्राइस कटौती (4-5%): 1,28,000 रुपये में से 5% यानी 6,400 रुपये कट जाते हैं.
- जीएसटी का नुकसान (3%): खरीदते समय दिए गए 3% जीएसटी यानी 3,840 रुपये वापस नहीं मिलते.
इन कटौतियों के बाद, 1,28,000 रुपये की जगह आपको केवल 98,560 रुपये मिलते हैं. यानी, आपको पूरी मार्केट वैल्यू के हिसाब से पैसा नहीं मिलता है. अगर गहना पुराना या कम शुद्धता वाला है, तो यह रकम और भी कम हो सकती है. इसके अलावा, शॉर्ट टर्म और लॉन्ग टर्म कैपिटल गेन्स टैक्स भी लगता है, जो आमतौर पर आयकर रिटर्न भरते समय देना पड़ता है.
98,560 रुपये से आप 12.32 ग्राम 22 कैरेट सोना (8,000 रुपये प्रति ग्राम) या 15.16 ग्राम 18 कैरेट सोना (6,500 रुपये प्रति ग्राम) खरीद सकते हैं. सीधे शब्दों में कहें तो अगर आपने 16 ग्राम गहने बेचे, तो सभी कटौतियों के बाद आपको केवल 12 ग्राम 22 कैरेट या 15 ग्राम 18 कैरेट सोना ही मिलेगा. लेकिन, नए गहने खरीदते समय आपको फिर से मेकिंग चार्ज (10-25%) और जीएसटी (3%) देना होगा. इसलिए, यह समझदारी होगी कि आप सोने के सिक्के या बार में निवेश करें. एमएमटीसी-पैम्प के प्रवक्ता के अनुसार, “हमारे 99.99% शुद्ध सोने के सिक्के और बार पर 100% बायबैक की सुविधा है. गहनों में मिलावट और मेकिंग चार्ज के कारण उनकी रिसेल वैल्यू कम हो जाती है, जबकि सिक्के और बार में ऐसा नहीं होता.”
गोल्ड का नया ट्रेंड क्या है?
आईसीआरए के अनुसार, 2024-25 में घरेलू सोने के गहनों की खपत मूल्य के हिसाब से 14-18% बढ़ने की उम्मीद है, हालांकि मांग कमजोर है. 2023-24 में, यह ग्रोथ 18 फीसदी रही है, जो मुख्य रूप से ऊंची कीमतों के कारण रही. सोना महंगा जरूर है, लेकिन इसे मुद्रास्फीति और मुद्रा अवमूल्यन के खिलाफ एक सुरक्षा कवच के रूप में देखा जाता है. रेडसीयर और पीडब्ल्यूसी की रिपोर्ट्स के मुताबिक, भारत का ज्वैलरी मार्केट 67 अरब डॉलर (लगभग 5.5 लाख करोड़ रुपये) का है, जो 2028 तक 115-125 अरब डॉलर (लगभग 9.5-10 लाख करोड़ रुपये) तक पहुंचने की उम्मीद है. इसकी वजह बढ़ती आय और बदलती उपभोक्ता प्राथमिकताएं हैं. पारंपरिक खरीदार, खासकर महिलाएं, अब भारी-भरकम ब्राइडल सेट्स की बजाय हल्के गहनों या डिजिटल गोल्ड को तरजीह दे रही हैं.