EPFO के करोड़ों सब्सक्राइबर्स के लिए अच्छी खबर, न्यूनतम पेंशन को बढ़ाकर 7,500 रुपये
नई दिल्ली :- EPFO के करोड़ों सब्सक्राइबर्स के लिए अच्छी खबर है। संसद की एक समिति ने प्राइवेट सेक्टर में काम करने वाले लोगों की न्यूनतम पेंशन 1,000 रुपये से बढ़ाकर 7,500 रुपये करने की सिफारिश की है। केंद्र सरकार ने 2014 में ईपीएफओ के सब्सक्राइबर्स को मिलने वाली न्यूनतम पेंशन 250 रुपये से बढ़ाकर 1,000 रुपये प्रति माह तय की थी। लेकिन ट्रेड यूनियनों और पेंशनर्स के संघों की लंबे समय से मांग रही है कि न्यूनतम पेंशन को बढ़ाकर कम से कम 7,500 रुपये प्रति माह किया जाए। उनका कहना है कि महंगाई बहुत बढ़ गई है, इसलिए पेंशन भी बढ़नी चाहिए।
लेकिन पिछले 11 साल से इसमें कोई बढ़ोतरी नहीं की गई है।न्यू इंडियन एक्सप्रेस की एक रिपोर्ट के मुताबिक बीजेपी सांसद बसवराज बोम्मई की अध्यक्षता वाली श्रम संबंधी संसदीय स्थायी समिति ने केंद्र सरकार से आग्रह किया है कि EPFO की कर्मचारी पेंशन योजना (EPS) के तहत दी जाने वाली न्यूनतम पेंशन को बढ़ाया जाए। अभी यह पेंशन 1,000 रुपये प्रति माह है। समिति ने पहले भी यह सिफारिश की थी और एक बार फिर इसे दोहराया है। समिति ने कहा कि 2014 के मुकाबले 2024 में महंगाई कई गुना बढ़ गई है और इसके मुताबिक पेंशन में बढ़ोतरी करने की जरूरत है। समिति ने आगे कहा कि वित्तीय असर को ध्यान में रखते हुए भी सरकार को पेंशनर्स और उनके परिवार के सदस्यों के व्यापक हित में तत्परता के साथ यह काम करने की जरूरत है।
समिति ने कहा कि योजना शुरू होने के 30 साल बाद इसका थर्ड पार्टी वैल्यूएशन किया जा रहा है। समिति ने कहा कि इस एक्सरसाइज को एक निश्चित समय सीमा के भीतर यानी 2025 के अंत तक पूरा किया जाए ताकि योजना की में आगे सुधार की गुंजाइश का आकलन किया जा सके। प्राइवेट सेक्टर में काम करने वाले लोगों की बेसिक सैलरी पर 12 फीसदी की कटौती ईपीएफ खाते के लिए की जाती है। साथ ही कंपनी भी इतना ही पैसा कर्मचारी के पीएफ खाते में जमा करती है। एम्प्लॉयर की तरफ से जमा किए जाने वाले पैसों में से 8.33 फीसदी हिस्सा ईपीएस (कर्मचारी पेंशन योजना) में जाता है, जबकि बचा हुआ 3.67 फीसदी हिस्सा ईपीएफ में जाता है।