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शेयर बाजार में गिरावट के बीच RBI का तोहफा, बैंकिंग सिस्टम्स में 4 लाख करोड़ रुपये डालने की तैयारी

नई दिल्ली :- अमेरिकी टैरिफ के चलते दुनिया भर में अनिश्चितता के बादल छा गए हैं। निवेशकों में घबराहट बढ़ गई है और महंगाई बढ़ने की आशंका तेज हो गई है। इन सबके बीच भारत में केंद्रीय बैंक RBI (रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया) बैंकिंग सिस्टम में रिकॉर्ड मात्रा में नगदी डालने की तैयारी में है। एनालिस्ट्स के मुताबिक इससे इकॉनमी को वैश्विक चुनौतियों से राहत मिल सकती है। IDFC FIRST Bank के मुताबिक आरबीआई चालू वित्त वर्ष में बॉन्ड खरीद और विदेशी मुद्रा स्वैप के जरिए 4 ट्रिलियन यानी 4 लाख करोड़ रुपये (4700 करोड़ डॉलर) तक निवेश कर सकता है। एसबीएम इंडिया का अनुमान है कि पहली छमाही में 2 ट्रिलियन रुपये तक का निवेश किया जा सकता है। इससे पहले जनवरी में आरबीआई पहले ही 8000 करोड़ डॉलर का रिकॉर्ड निवेश कर चुका है।

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लिक्विडिटी में बढ़ोतरी का Repo Rate में कटौती से क्या है कनेक्शन?

मार्केट फिलहाल रेपो रेट में कटौती की उम्मीद लगाए बैठा है। उससे पहले आरबीआई मार्केट में लिक्विडिटी बढ़ाने के लिए नकदी का प्रवाह बढ़ा रहा है। लिक्विडिटी बढ़ाने से यह सुनिश्चित होगा कि रेपो रेट में कटौती का फायदा प्रभावी तरीके से मिले। उम्मीद की जा रही है कि 9 अप्रैल को आरबीआई एक बार फिर रेपो रेट में कटौती का ऐलान कर सकता है। इससे पहले करीब 5 साल बाद फरवरी में आरबीआई ने रेपो रेट में कटौती का ऐलान किया था। बुल्स का अनुमान है कि अब कटौती से रेपो रेट तीन साल के निचले स्तर पर आ आएगा। RBI की लिक्विडिटी बढ़ाने की कोशिशों के चलते बैंकिंग सिस्टम जनवरी में 3.3 ट्रिलियन यानी 3.3 लाख करोड़ रुपये के डेफिसिट से सरप्लस में आ पाया है। कैश डेफिसिट की स्थिति दस साल में सबसे खराब थी और यह इसकी एक वजह तो केंद्रीय बैंक की तरफ से डॉलर की बिक्री थी।

कैश डेफिसिट की स्थिति से निपटने की तैयारी

IDFC फर्स्ट बैंक की चीफ इकनॉमिस्ट गौरा सेन गेप्ता का कहना है कि इससे पहले जब रेपो रेट में कटौती हुई थी, लिक्विडिटी कम से कम 2 ट्रिलियन रुपये सरप्लस में थी। आरबीआई बैंकिंग सिस्टम में सरप्लस की स्थिति फिर बनाए रख सकता है क्योंकि जून तिमाही में फारवर्ड्स मार्केट में 3500 करोड़ डॉलर की नेट मेच्योरिटी के चलते एक बार फिर कैश डेफिसिट की स्थिति आ सकती है। अगर मेच्योरिटी पर आरबीआई स्वैप को रोल ओवर नहीं करता है तो इसे डॉलर लौटाने पड़ेंगे। कोटक महिंद्रा बैंक की चीफ इकनॉमिस्ट उपासना भारद्वाज के मुताबिक शॉर्ट फॉरवर्ड स्थिति से लिक्विडिटी सरप्लस में बनाए रखने के लिए रोलओवर या आउटराइट फोरेक्स स्वैप्स या ओपन मार्केट में अतिरिक्त खरीदारी की जरूरत बनी रह सकती है।

Author Deepika Bhardwaj

नमस्कार मेरा नाम दीपिका भारद्वाज है. मैं 2022 से खबरी एक्सप्रेस पर कंटेंट राइटर के रूप में काम कर रही हूं. मैंने कॉमर्स में मास्टर डिग्री की है. मेरा उद्देश्य है कि हरियाणा की प्रत्येक न्यूज़ आप लोगों तक जल्द से जल्द पहुंच जाए. मैं हमेशा प्रयास करती हूं कि खबर को सरल शब्दों में लिखूँ ताकि पाठकों को इसे समझने में कोई भी परेशानी न हो और उन्हें पूरी जानकारी प्राप्त हो. विशेषकर मैं जॉब से संबंधित खबरें आप लोगों तक पहुंचाती हूँ जिससे रोजगार के अवसर प्राप्त होते हैं.

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