6,500 करोड़ की लागत से बनेगा 110 KM लंबा नया रिंग रोड, किसानों को होगा मोटा फायदा
नई दिल्ली :- केंद्र सरकार देशभर में बेहतर सड़क कनेक्टिविटी उपलब्ध कराने के लिए एक्सप्रेसवे, रिंग रोड और हाईवे जैसी बड़ी परियोजनाओं पर लगातार काम कर रही है। अब राजस्थान के लिए भी एक बड़ी सौगात सामने आई है। जयपुर के आसपास के इलाकों के लोगों को बेहतर यातायात सुविधा देने के लिए उत्तर जयपुर रिंग रोड को मंजूरी मिल गई है।

110 किलोमीटर लंबी रिंग रोड को मिली हरी झंडी
केंद्रीय सड़क परिवहन एवं राजमार्ग मंत्री नितिन गडकरी ने हाल ही में उत्तर जयपुर रिंग रोड परियोजना को मंजूरी देने की घोषणा की। यह रिंग रोड लगभग 110 किलोमीटर लंबी होगी और इसे बनाने में करीब 6,500 करोड़ रुपये की लागत आएगी। इस रिंग रोड के बन जाने से जयपुर के उत्तरी हिस्से को नया ट्रैफिक रूट मिलेगा, जिससे भीड़भाड़ कम होगी और क्षेत्र में नए विकास के रास्ते खुलेंगे।
सड़कें बढ़ाएंगी ज़मीन की कीमत, नया जयपुर बसाने की योजना
मंत्री गडकरी ने कहा कि किसी भी क्षेत्र में सड़क निर्माण के बाद वहां की ज़मीन की कीमत कई गुना बढ़ जाती है। उन्होंने बताया कि राजस्थान सरकार को पहले भी जयपुर विकास प्राधिकरण के सहयोग से एक ‘नया जयपुर’ बसाने का सुझाव दिया गया था, ताकि शहरी विस्तार को योजनाबद्ध तरीके से किया जा सके। उन्होंने यह भी स्पष्ट किया कि इस प्रकार के विकास से आम जनता, खासकर किसानों को सीधा लाभ मिल सकता है।
किसानों को मिलेगा विकसित ज़मीन का हिस्सा
गडकरी ने बताया कि उत्तर जयपुर बाईपास के आस-पास बनने वाले इलाकों में किसानों को उनकी भूमि के बदले 40 प्रतिशत विकसित ज़मीन देने का प्रस्ताव रखा गया है। इससे न सिर्फ उनकी संपत्ति की कीमत बढ़ेगी, बल्कि वे भविष्य में उसका व्यावसायिक उपयोग भी कर पाएंगे। यह मॉडल किसानों के हित को ध्यान में रखते हुए तैयार किया गया है।
एक्सप्रेसवे और हाईवे से बढ़ेगा रोजगार
परियोजना केवल एक सड़क नहीं है, बल्कि यह रोजगार और आर्थिक विकास का जरिया भी बनेगी। उन्होंने जानकारी दी कि कोटपुतली से आगरा तक बनने वाला एक्सप्रेसवे, जिसकी लागत करीब 6,800 करोड़ रुपये है, वह सितंबर 2025 तक पूरा कर लिया जाएगा। साथ ही, जयपुर, किशनगढ़ और जोधपुर से लेकर अमृतसर तक एक आधुनिक राजमार्ग बनाने की भी योजना है।
12,000 करोड़ की लागत से तैयार हो रही DPR
उत्तर जयपुर रिंग रोड को और मजबूत और व्यावहारिक बनाने के लिए इस समय 12,000 करोड़ रुपये की लागत से विस्तृत परियोजना रिपोर्ट (DPR) तैयार की जा रही है। जैसे ही यह प्रक्रिया पूरी होगी, इस पर निर्माण कार्य की शुरुआत हो जाएगी। इससे न केवल स्थानीय क्षेत्र में कनेक्टिविटी सुधरेगी, बल्कि राज्यभर में आर्थिक गतिविधियों को भी नया आयाम मिलेगा।