आज ही अपनाएं कतरनी धान की नई किस्म, उतनी ही लागत में पाएं दोगुनी पैदावार और दुगनी कमाई
नई दिल्ली :- किसानों के लिए एक अच्छी खबर सामने आई है, खासकर उन किसानों के लिए जो कतरनी धान की खेती करते हैं। अब इस खास किस्म की धान से किसानों की आमदनी दोगुनी हो सकती है। यह संभव हो पाया है बिहार कृषि विश्वविद्यालय (BAU) के वैज्ञानिकों की मेहनत और नई खोज की बदौलत। अब तक किसान कतरनी धान की कम उपज से परेशान रहते थे। लेकिन अब वैज्ञानिकों ने कतरनी का नया वर्जन तैयार किया है – जिसका नाम है सबौर कतरनी धान-1। इस किस्म की सबसे खास बात यह है कि यह पहले के मुकाबले डेढ़ गुना ज्यादा उपज देती है। यानी अगर पुरानी कतरनी किस्म से प्रति हेक्टेयर 25 क्विंटल धान मिलती थी, तो अब सबौर-1 से लगभग 37 क्विंटल तक पैदावार मिल सकती है।
वैज्ञानिकों की टीम ने किया कमाल
इस नई किस्म को BAU के वैज्ञानिक डॉ. मनकेश और उनकी टीम ने तैयार किया है। उन्होंने इसे खासतौर पर किसानों की जरूरतों को ध्यान में रखकर विकसित किया है। इसमें न सिर्फ उपज ज्यादा है, बल्कि इसमें कीटों का प्रकोप भी काफी कम होता है। क्योंकि कतरनी धान की खुशबू ज्यादा होने की वजह से उस पर कीट जल्दी लगते हैं, लेकिन नई किस्म में यह समस्या काफी हद तक सुलझा दी गई है।
कम पानी में भी अच्छी फसल
सबौर कतरनी धान-1 की एक और खासियत है कि यह कम पानी में भी अच्छी उपज दे सकता है। यह उन किसानों के लिए बहुत फायदेमंद साबित होगा, जिनके पास सिंचाई की सुविधा सीमित है। इस बीज की बुआई अभी यूनिवर्सिटी परिसर में की जा चुकी है, और वैज्ञानिक खुद इसकी देखरेख कर रहे हैं। भविष्य में जो भी किसान इस किस्म की खेती करेगा, उसे भी वैज्ञानिकों से तकनीकी मदद मिलती रहेगी।
कतरनी को मिला है GI टैग
आपको यह भी जानकर खुशी होगी कि कतरनी चावल को GI (Geographical Indication) टैग भी मिला हुआ है। भागलपुर के जगदीशपुर और आस-पास के इलाके धान की खेती के लिए मशहूर हैं। लेकिन कतरनी धान की एक खास पहचान है, जिसकी खुशबू और स्वाद इसे बाकी धानों से अलग बनाता है। यही वजह है कि इसका बाजार भाव भी अच्छा होता है।
किसानों की आमदनी में होगा सीधा इज़ाफा
नई किस्म के बीज के आने से किसानों को अब उसी लागत में ज्यादा उत्पादन मिलेगा। यानी खर्च वही रहेगा, लेकिन धान की उपज और बिक्री बढ़ेगी। इसका सीधा असर किसानों की आमदनी पर पड़ेगा, और उनकी आर्थिक स्थिति मजबूत होगी।