UPI से पेमेंट पर लग सकता है चार्ज, RBI गवर्नर ने दिए बड़े संकेत
नई दिल्ली :- भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) के गवर्नर संजय मल्होत्रा ने UPI (यूनिफाइड पेमेंट्स इंटरफेस) को लेकर एक अहम बयान दिया है। उन्होंने शुक्रवार को मुंबई में आयोजित एक कार्यक्रम में साफ तौर पर कहा कि डिजिटल लेन-देन का यह माध्यम हमेशा के लिए मुफ्त नहीं रह सकता। भविष्य में यूपीआई के इस्तेमाल पर शुल्क लगाया जा सकता है ताकि इसे आर्थिक रूप से टिकाऊ बनाया जा सके।
अभी मुफ्त, लेकिन हमेशा नहीं रहेगा
फिलहाल UPI सेवाएं सरकार की सब्सिडी और समर्थन के बल पर मुफ्त दी जा रही हैं, जिससे करोड़ों लोग रीयल-टाइम पेमेंट सुविधा का आसानी से लाभ उठा पा रहे हैं। लेकिन आरबीआई गवर्नर ने चेताया कि इस व्यवस्था को लंबे समय तक मुफ्त बनाए रखना संभव नहीं होगा। क्योंकि यूपीआई के संचालन, इंफ्रास्ट्रक्चर और तकनीकी व्यवस्था में भारी लागत आती है, जिसे किसी न किसी को वहन करना पड़ेगा।
तेज़ी से बढ़ा है उपयोग
संजय मल्होत्रा ने बताया कि बीते दो वर्षों में यूपीआई यूजर्स की संख्या 31 करोड़ से बढ़कर 60 करोड़ हो चुकी है। यह डिजिटल पेमेंट सिस्टम के लिए एक बड़ी सफलता है, लेकिन इससे सिस्टम पर दबाव भी बहुत बढ़ गया है। ऐसे में सुरक्षा और तकनीकी अपग्रेडेशन को बनाए रखना बेहद जरूरी हो गया है।
बैंकों पर भी बढ़ रहा है दबाव
उन्होंने यह भी बताया कि वर्तमान में सरकार या बैंक यूपीआई ट्रांजेक्शन से कोई राजस्व नहीं कमा रहे, क्योंकि मर्चेंट डिस्काउंट रेट (MDR) को शून्य रखा गया है। उद्योग जगत का मानना है कि मौजूदा मॉडल से बैंकिंग सिस्टम पर आर्थिक बोझ बढ़ता जा रहा है। अगर इसमें जल्द बदलाव नहीं किया गया तो यह मॉडल ज्यादा दिनों तक नहीं टिक पाएगा।
भविष्य में ब्याज दरों में राहत संभव
इस कार्यक्रम में गवर्नर ने मौद्रिक नीति पर भी बात की और संकेत दिए कि यदि परिस्थितियां अनुकूल रहीं तो भविष्य में ब्याज दरों में कटौती की जा सकती है। उन्होंने बताया कि वर्तमान में महंगाई दर 2.1% है और इसी के आधार पर आगे की रणनीति बनाई जाएगी।