Haryana News: हरियाणा में यूरिया और डीएपी की रिकॉर्ड खपत पर सरकार सख्त, 20 बोरी से ज्यादा खरीदने वालों की होगी जांच
चंडीगढ़, Haryana News :- हरियाणा में इस साल यूरिया और डीएपी खाद की खपत में अचानक आई तेजी ने सरकार की चिंता बढ़ा दी है। कृषि एवं किसान कल्याण विभाग ने इसे गंभीरता से लेते हुए 20 या उससे अधिक बोरी खाद खरीदने वाले किसानों का ग्राउंड लेवल पर वेरिफिकेशन शुरू कर दिया है।किन जिलों में सबसे ज़्यादा खपत?
सरकारी आंकड़ों के अनुसार, यमुनानगर और जींद ऐसे जिले हैं जहां यूरिया और डीएपी की सबसे अधिक खपत दर्ज की गई है।
- यमुनानगर: 6,035 मीट्रिक टन की अतिरिक्त खपत
- जींद: 13,327 मीट्रिक टन की अतिरिक्त खपत
यह आंकड़े पिछले साल की तुलना में खरीफ सीजन के दौरान की गई बिक्री से काफी अधिक हैं।
आंकड़े चौंकाने वाले हैं
1 अप्रैल से 11 जुलाई 2025 के बीच हरियाणा में 6,63,714 मीट्रिक टन यूरिया की बिक्री हुई है, जबकि पिछले साल इसी अवधि में 5,39,542 मीट्रिक टन ही बिका था। यानी सिर्फ 100 दिनों में 1.53 लाख मीट्रिक टन से ज्यादा यूरिया की अतिरिक्त खपत हुई है। इस कारण विभाग को चिंता है कि कहीं यह खपत दुरुपयोग, हेराफेरी या कालाबाजारी का नतीजा तो नहीं?
कैसे हो रही है निगरानी?
अब विभाग ने निर्णय लिया है कि Integrated Fertilizer Management System (IFMS) पोर्टल पर उपलब्ध आंकड़ों के आधार पर 20 बैग से अधिक खाद खरीदने वाले किसानों की सूची तैयार की जाएगी और तीन दिनों के भीतर उनका फील्ड वेरिफिकेशन किया जाएगा।
किसानों की तीन श्रेणियां बनाई गईं
- कैटेगरी 1: जिन्होंने 40-50 बैग यूरिया खरीदे
- कैटेगरी 2: 30-40 बैग खरीदने वाले
- कैटेगरी 3: 20-30 बैग खरीदने वाले
👉 वेरिफिकेशन में सबसे पहले कैटेगरी 1 के किसानों को प्राथमिकता दी जाएगी।
उड़न दस्ते और बॉर्डर पर कड़ी निगरानी
- हर जिले में कृषि और पुलिस अधिकारियों की संयुक्त टीमें (उड़न दस्ते) बनाई गई हैं जो स्टोर्स और खेतों पर छापेमारी कर रही हैं।
- राज्य की सीमाओं (बॉर्डर) पर भी खास निगरानी रखी जा रही है ताकि किसी भी प्रकार की अवैध ढुलाई को रोका जा सके।
चरखी दादरी और पलवल में भी भीड़
खाद की बढ़ती मांग को देखते हुए चरखी दादरी और पलवल जैसे जिलों में खाद के लिए किसानों की लंबी लाइनें देखी जा रही हैं।
कुछ स्थानों पर महिलाएं भी लाइन में खड़ी नजर आईं, जिससे यह साफ है कि मांग ने अचानक जोर पकड़ा है।
क्या है विभाग का उद्देश्य?
- यह सुनिश्चित करना कि यूरिया-डीएपी वास्तविक किसानों को ही मिले।
- बिचौलियों और ब्लैक मार्केटिंग को पूरी तरह रोका जाए।
- खाद स्टॉक पर दबाव को संतुलित किया जाए ताकि भविष्य में कोई संकट न आए।
आगे क्या?
सरकार का निर्देश है कि खाद खरीद की किसी भी नई एंट्री का वेरिफिकेशन 3 दिन के भीतर हो जाना चाहिए और इसकी रिपोर्ट मुख्यालय को तुरंत भेजी जाए। यदि किसी किसान की खरीद में संदेह पाया जाता है तो उसके खिलाफ विधिक कार्यवाही भी की जा सकती है।