Haryana News: शराब ने भरे हरियाणा सरकार के खजाने, ठेकों की बोली से जुटाए रिकॉर्ड 12615 करोड़
चंडीगढ़, Haryana News :- हरियाणा सरकार ने वित्त वर्ष 2025-26 के लिए शराब की दुकानों की नीलामी से अब तक 12,615 करोड़ रुपये का राजस्व जुटा लिया है। सरकार ने आबकारी विभाग को इस बार 14,064 करोड़ रुपये का लक्ष्य दिया है, जिसमें से 90% से ज्यादा राशि पहले ही वसूली जा चुकी है। अब केवल 113 आबकारी जोन की नीलामी बाकी रह गई है। अधिकारियों को उम्मीद है कि शेष नीलामी के साथ लक्ष्य भी पूरा कर लिया जाएगा।

कुल 1,194 में से 1,081 जोनों की हो चुकी है नीलामी
राज्य में कुल 1,194 आबकारी जोन बनाए गए हैं। इनमें से अब तक 1,081 जोन की सफलतापूर्वक नीलामी हो चुकी है। हर जोन में दो खुदरा शराब दुकानें खोलने की अनुमति दी गई है। आबकारी विभाग के आयुक्त विनय प्रताप सिंह के अनुसार, अब तक 2,150 से अधिक शराब दुकानें तीन सप्ताह के भीतर खोल दी गई हैं।
113 जोनों की नीलामी में बाधा, बदमाशों का असर भी कारण
जो 113 आबकारी जोन नीलाम नहीं हो सके हैं, उनके पीछे कुछ सुरक्षा और स्थानीय प्रभाव से जुड़ी समस्याएं सामने आई हैं। सूत्रों के मुताबिक, बदमाशों और दबंगों के हस्तक्षेप के कारण कई व्यवसायी इन क्षेत्रों में दुकानें लेने से हिचक रहे हैं। सरकार अब इस पर सख्त रवैया अपनाने की तैयारी में है ताकि आखिरी दौर की नीलामी सुरक्षित और निष्पक्ष तरीके से पूरी की जा सके।
ई-नीलामी से पारदर्शिता और प्रतिस्पर्धा
हरियाणा सरकार ने इस बार नीलामी प्रक्रिया को पूरी तरह डिजिटल बनाया है। ई-नीलामी पोर्टल के ज़रिए बोली लगाने की प्रक्रिया को पारदर्शी, निष्पक्ष और भ्रष्टाचार मुक्त बनाया गया है। इच्छुक व्यवसायी कहीं से भी बोली में हिस्सा ले सकते हैं, जिससे सरकारी आय बढ़ी है और अधिक बोली लगाने वाले जुड़ रहे हैं।
दो हफ्तों में 1,370 करोड़ की कमाई
नीलामी के हालिया आंकड़ों के मुताबिक:
-
पिछले दो सप्ताह में 125 जोनों की नीलामी कर सरकार को 1,370 करोड़ रुपये की आय हुई।
-
3 जुलाई 2025 को संपन्न नीलामी में 21 जोनों की बोली से ही 215 करोड़ रुपये की आमदनी हुई।
-
पिछले साल अगस्त 2024 में 7,025 करोड़ रुपये का कुल राजस्व मिला था, लेकिन इस बार वह आंकड़ा दोगुना हो चुका है।
नई नीति मार्च 2027 तक लागू
सरकार ने इस बार लंबी अवधि के लिए नीतिगत स्थायित्व देने का फैसला किया है। नई आबकारी नीति 31 मार्च 2027 तक प्रभावी रहेगी। इससे शराब व्यवसायियों को अपने व्यापार की योजना बनाने में मदद मिलेगी और बाजार में प्रतिस्पर्धा भी बढ़ेगी।

