Haryana News: हरियाणा मे यहा मिलते है रबड़ की तरह हिलने वाले पत्थर, दूसरे राज्यों से भी देखने आते है लोग
नई दिल्ली :- हरियाणा के चरखी दादरी जिले में एक छोटा सा गांव है — कलियाणा, लेकिन इसकी पहचान अब दुनिया भर में फैल चुकी है। वजह है यहां की पहाड़ियों में मिलने वाला एक अजीब लेकिन चौंकाने वाला पत्थर, जो देखने में तो आम लगता है, लेकिन जब उसे छूते हैं तो वह रबड़ की तरह हिलने लगता है।
कैसा है यह पत्थर?
इस पत्थर को यहां के लोग “हिलना पत्थर” कहते हैं। यह पत्थर अरावली पर्वत श्रृंखला के एक हिस्से में पाया जाता है। इसे वैज्ञानिक भाषा में फ्लेक्सिबल सैंडस्टोन (Flexible Sandstone) कहा जाता है। इसका मतलब है कि यह एक ऐसा बलुआ पत्थर है जो लचीला होता है और हिलता भी है, लेकिन आसानी से टूटता नहीं।
दुनिया भर में क्यों है चर्चा?
कलियाणा का यह पत्थर अब केवल गांव तक सीमित नहीं रहा। यह इतना खास है कि इसका नाम गिनीज़ बुक ऑफ वर्ल्ड रिकॉर्ड्स में भी शामिल किया गया है। इस वजह से यह पत्थर अब हरियाणा के गौरव की तरह देखा जाता है।
क्या कहते हैं वैज्ञानिक?
देश-विदेश के भूगर्भ वैज्ञानिक इस पत्थर के रहस्य को समझने में लगे हैं। उनका मानना है कि इसकी खास बनावट और लचक इसे भूकंप से बचाने वाली इमारतों में इस्तेमाल के लायक बनाती है। अगर ऐसा संभव हुआ तो आने वाले समय में इससे ऐसी बिल्डिंग्स बनाई जा सकती हैं जो भूकंप झेल सकें।
सरकार ने लगाए सुरक्षा कदम
चूंकि यह पत्थर बहुत अनमोल है, इसलिए सरकार ने इस क्षेत्र में आम लोगों के प्रवेश पर रोक लगाई है। साथ ही यहां चेतावनी बोर्ड भी लगाए गए हैं ताकि कोई इस पत्थर को नुकसान न पहुंचाए। अगर किसी ने नियम तोड़ा तो कानूनी कार्रवाई की जा सकती है।
गांव वाले भी निभा रहे ज़िम्मेदारी
कलियाणा गांव के लोग खुद भी इस अनोखे पत्थर को बचाने में जुटे हैं। वे इसे अपनी सांस्कृतिक और प्राकृतिक धरोहर मानते हैं। कई ग्रामीणों का कहना है कि सरकारी परीक्षाओं में भी अब इस पत्थर से जुड़े सवाल पूछे जाने लगे हैं।
पर्यटन स्थल बनाने की मांग
गांव के लोगों की एक मांग है कि इस जगह को आधिकारिक पर्यटन स्थल का दर्जा दिया जाए। इससे न सिर्फ लोग इस चमत्कार को देखने आएंगे, बल्कि गांव में रोजगार के नए अवसर भी बनेंगे।
विश्वविद्यालय की टीम आई जांच को
दिल्ली यूनिवर्सिटी के एक प्रोफेसर और उनकी टीम हाल ही में यहां आई थी, जिन्होंने इस पत्थर की विशेषताओं पर वैज्ञानिक अध्ययन किया। यह रिसर्च अभी जारी है और इसके नतीजे आने वाले समय में और भी चौंकाने वाले हो सकते हैं।