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Khatu Shyam Story: जाने कौन है हारे के सहारे बाबा श्याम, जिनकी कलयुग में खाटू श्याम के नाम से हो रही है पूजा

ज्योतिष, Khatu Shyam Story :– जैसा की आपको पता है कि इन दिनों बाबा श्याम के प्रति लोगों की भक्ति बढ़ती जा रही है. खाटू श्याम को हारे का सहारा भी माना जाता है. हारे के सहारे का मतलब है जिस व्यक्ति का कोई भी सहारा नहीं है, उसे खाटू श्याम जी अपनी शरण में लेकर उसकी सारी समस्याओं का समाधान कर देते हैं. खाटू श्याम का आशीर्वाद लेने के लिए उनके भक्त राजस्थान सीकर में स्थित उनके मंदिर में माथा टेकने के लिए भारत के विभिन्न कोनो से पहुंचते हैं.

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श्याम जी के जन्मदिन पर लगता है लक्खी मेला 

अगर आप भी श्याम जी के भगत है, तो आप राजस्थान के सीकर में श्याम बाबा के मंदिर के पास लगे लक्खी मेले में जा सकते हैं. श्याम जी के जन्मदिन के अवसर पर हर साल लक्खी मेले का आयोजन किया जाता है. यह मेला पूरे 10 दिनों तक चलता है, अबकी बार फाल्गुन महीने में यह मेला 12 मार्च से लेकर 21 मार्च तक रहने वाला है. इस मेले के अंतिम दिन श्याम जी का जन्मदिन मनाया जाएगा.

मां से जाहिर की थी युद्ध में शामिल होने की इच्छा

जैसा की आपको पता है कि सालों पहले महाभारत का युद्ध हुआ था, जिसमें कौरव पांडव एक दूसरे से युद्ध लड़ रहे थे. जब इस युद्ध की जानकारी घटोत्कच के पुत्र बर्बरीक तक पहुंची तो उन्होंने अपनी माता से कहा कि वह कुरुक्षेत्र के युद्ध में शामिल होने के लिए जा रहे है. यह सुनकर उनकी मां ने कहा कि बर्बरीक तुम असीम शक्तियों को धारण करने वाले हो, इसीलिए अपनी शक्तियों का प्रयोग कभी भी निर्बल पर मत करना या फिर उस दल पर मत करना जो कि हार रहा हो. तुम हारे हुए को सहारा देना, इसका मतलब है कि जो पक्ष हार रहा हो, तुम उसकी तरफ से युद्ध लड़ना. यह सुनकर बर्बरीक युद्ध भूमि पहुंच गया.

भगवान श्री कृष्ण ने मांगा था शीश का दान 

वही भगवान श्री कृष्ण को इस बारे में जानकारी थी कि युद्ध कौन हारेगा, इसीलिए श्री कृष्णा यह भी जानते थे कि बर्बरीक किसका साथ देने वाले हैं. बर्बरीक को कौरवों का साथ देने से रोकने के लिए भगवान श्री कृष्ण ने ब्राह्मण का वेश धारण किया और बर्बरीक से शीश दान मांग लिया.बर्बरीक समझ गए कि यह साधारण ब्राह्मण नहीं है, यह कोई देवता है और किसी वजह से ही शीश दान मांग रहे हैं. भगवान श्री कृष्ण को पता था कि बर्बरीक एक शक्तिशाली योद्धा है इसीलिए उन्होंने बर्बरीक से शीश दान मांगा और उनके शीश को उठाकर अमृत कलश में डाल दिया, जिससे बर्बरीक अमर हो गए.

इस वजह से जाना जाता है खाटू श्याम के नाम से

बर्बरीक ने भगवान श्री कृष्ण से पूरे युद्ध को देखने की इच्छा जाहिर की. श्री कृष्ण ने उनके शीश को सबसे ऊंची पहाड़ी पर रख दिया, जिस वजह से बर्बरीक पूरे युद्ध को देख पाए. वही भगवान श्री कृष्ण ने बर्बरीक के समर्पण भाव को देखकर उन्हें वरदान दिया कि आगे चलकर उन्हें खाटू श्याम के नाम से पूजा जाएगा. इसके बाद से ही बर्बरीक को बाबा खाटू श्याम जी के नाम से पूजा जाने लगा.  इस वजह से राजस्थान सीकर में लक्खी मेला लगाया जाता है.  10 दिन तक चलने वाले इस मेले में लाखों की संख्या में श्रद्धालु बाबा के दर्शन करने के लिए यहां पहुंचे थे.

Author Meenu Rajput

नमस्कार मेरा नाम मीनू राजपूत है. मैं 2022 से खबरी एक्सप्रेस पर बतौर कंटेंट राइटर काम करती हूँ. मैंने बीकॉम, ऍम कॉम तक़ पढ़ाई की है. मैं प्रतिदिन हरियाणा की सभी ब्रेकिंग न्यूज पाठकों तक पहुंचाती हूँ. मेरी हमेशा कोशिश रहती है कि मैं अपना काम अच्छी तरह से करू और आप लोगों तक सबसे पहले न्यूज़ पंहुचा सकूँ. जिससे आप लोगों को समय पर और सबसे पहले जानकारी मिल जाए. मेरा उद्देशय आप सभी तक Haryana News सबसे पहले पहुँचाना है.

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