किसानों के लिए बड़ी ख़ुशख़बरी , इस स्कीम के तहत मिलेगा ₹30,000 रूपये
नई दिल्ली :- सरकार ने किसानों की पारंपरिक खेती की ओर वापसी को बढ़ावा देने के लिए एक नई और सराहनीय योजना शुरू की है। इस योजना के तहत ऐसे किसानों को ₹30,000 सालाना सहायता दी जाएगी, जो खेती के लिए ट्रैक्टर या मशीनों के बजाय बैलों का इस्तेमाल करते हैं।
क्यों ज़रूरी है ये योजना?
बीते कुछ सालों में राजस्थान में बैलों की संख्या घटती जा रही है। इसका कारण है खेती में आधुनिक मशीनों का इस्तेमाल बढ़ना। लेकिन पारंपरिक खेती, जिसमें बैल इस्तेमाल होते हैं, न सिर्फ पर्यावरण के लिए बेहतर मानी जाती है, बल्कि मिट्टी की उर्वरता बनाए रखने और जैविक खाद की दृष्टि से भी यह अधिक लाभकारी होती है। छोटे और सीमांत किसान अक्सर महंगी कृषि मशीनरी नहीं खरीद पाते। ऐसे में यह योजना उनके लिए राहत बनकर आई है। सरकार चाहती है कि ऐसे किसान बैलों के सहारे खेती जारी रखें और टिकाऊ खेती की ओर कदम बढ़ाएं।
किन किसानों को मिलेगा लाभ?
इस योजना का लाभ उन्हीं किसानों को मिलेगा जो कुछ विशेष शर्तों को पूरा करते हैं:
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किसान के पास 15 महीने से 12 साल की उम्र तक के दो स्वस्थ बैल होने चाहिए।
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किसान को तहसीलदार से प्रमाणित छोटा या सीमांत किसान होना चाहिए।
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बैलों के नाम पर बीमा होना अनिवार्य है।
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किसान के पास खुद की खेती योग्य ज़मीन होनी चाहिए या फिर वन विभाग द्वारा जारी पट्टा प्रमाण पत्र होना चाहिए।
कैसे मिलेगा ₹30,000 की वार्षिक सहायता?
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योग्य किसानों का आवेदन कृषि विभाग द्वारा जांचा जाएगा।
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यदि सभी दस्तावेज़ और शर्तें सही पाई जाती हैं, तो 10 दिनों के भीतर आवेदन स्वीकृत हो सकता है।
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उसके बाद 20 से 40 दिन के अंदर प्रशासनिक मंजूरी दी जाएगी।
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मंजूरी मिलते ही प्रत्येक वर्ष ₹30,000 सीधे किसान के बैंक खाते में भेजे जाएंगे।
कैसे करें आवेदन?
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इच्छुक किसान राजस्थान कृषि विभाग की आधिकारिक वेबसाइट या किसान साथी पोर्टल पर जाकर ऑनलाइन आवेदन कर सकते हैं।
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आवेदन करते समय निम्नलिखित दस्तावेज़ अपलोड करना ज़रूरी है:
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बैलों की हाल ही में खींची गई तस्वीरें
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बैलों की बीमा पॉलिसी
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पशु चिकित्सक द्वारा जारी स्वास्थ्य प्रमाण पत्र
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आवेदन पूरी तरह से ऑनलाइन है, जिससे किसान बिना किसी दलाल या परेशानी के घर बैठे इसका लाभ उठा सकते हैं।