अब गेहूं कटाई के बाद भी खेत से कर सकते हैं कमाई, जाने कैसे कमा सकते है डबल प्रॉफिट
फरीदाबाद :- खेती-किसानी में अब किसानों की सोच बदल रही है और यही बदलाव उन्हें मुनाफा भी दिला रहा है। हरियाणा के फरीदाबाद जिले के अटाली गांव के किसान अब फसल अवशेष (पराली और भूसा) को बर्बाद नहीं करते, बल्कि उसे मूल्यवान संसाधन के रूप में इस्तेमाल कर रहे हैं। गांव के प्रगतिशील किसान विनोद कुमार बताते हैं कि गेहूं की कटाई के बाद खेत में जो डंठल और भूसा बचता है, उसे अब रीपर मशीन की मदद से चारे में बदल दिया जाता है। यह चारा मंडी में ₹150 प्रति मन (40 किलो) तक के भाव पर बिक रहा है। औसतन एक खेत से 60 से 80 मन तक भूसा निकल आता है, जिससे किसानों को हजारों रुपये की अतिरिक्त आमदनी हो रही है।
कैसे होती है प्रक्रिया?
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कंबाइन मशीन से गेहूं की कटाई की जाती है।
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खेत में बची फसल को रीपर मशीन से काटकर चारे में बदल दिया जाता है।
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यह भूसा पशुओं के लिए पोषणयुक्त चारा होता है और बाज़ार में इसकी अच्छी मांग है।
पर्यावरण को भी फायदा
इस तकनीक से पराली जलाने की जरूरत नहीं पड़ती, जिससे वायु प्रदूषण में कमी आती है। खेत साफ रहते हैं, मवेशियों को बेहतर चारा मिलता है, और किसान की आय भी बढ़ती है – यानी कृषि, पर्यावरण और अर्थव्यवस्था – तीनों को एक साथ फायदा।
गांव में बढ़ रहा चलन
विनोद कुमार की इस पहल को देखकर अन्य किसान भी इस तरीके को अपनाने लगे हैं। अब अटाली गांव के खेतों में न तो पराली जलती है और न ही भूसा व्यर्थ जाता है – बल्कि, वह आर्थिक संपत्ति में बदल गया है।