अब आसानी से सोलर पैनल से चलाए AC, सिर्फ इतनी सोलर पैनल की होगी जरुरत
नई दिल्ली :- जैसे ही गर्मियों का मौसम दस्तक देता है, उत्तर भारत के ज्यादातर इलाकों में एसी की मांग तेजी से बढ़ जाती है। अप्रैल से लेकर सितंबर-अक्टूबर तक तापमान इतना बढ़ जाता है कि कूलिंग डिवाइस जरूरी हो जाती है। हालांकि, एयर कंडीशनर लगाने के बाद बिजली का बिल भी काफी बढ़ जाता है। अगर आप अपने घर में 1.5 टन का एसी इंस्टॉल करते हैं, तो प्रतिदिन लगभग 100 रुपये का अतिरिक्त खर्च आता है, यानी महीने भर में करीब 3,000 रुपये और 6 महीनों में लगभग 15,000 से 18,000 रुपये तक का बिल आ सकता है।
क्या सोलर पैनल से चल सकता है एसी?
बिजली के बढ़ते खर्च से परेशान लोग अब सोलर एनर्जी की ओर रुख कर रहे हैं। लेकिन कई लोगों के मन में यह सवाल होता है कि क्या सोलर पैनल से एसी चलाया जा सकता है? जवाब है– हां, बिल्कुल। आप न सिर्फ एसी, बल्कि पूरे घर का बिजली लोड सोलर सिस्टम पर शिफ्ट कर सकते हैं। हालांकि, इसके लिए एक-दो नहीं बल्कि कम से कम 10 पैनलों की जरूरत होगी। 1.5 टन का एसी चलाने के लिए करीब 5 किलोवाट (kW) की सोलर कैपेसिटी आवश्यक है, जिसका खर्च करीब 5 लाख रुपये तक आ सकता है।
बिजली के बिल से छुटकारा कैसे मिलेगा?
अगर आप चाहते हैं कि एसी चलाने के बावजूद बिजली का बिल ना आए, तो आपको ऑफ-ग्रिड सोलर सिस्टम लगाना होगा। इसमें पूरा घर सोलर एनर्जी से चलेगा। इस सिस्टम में सोलर पैनल के साथ एक सोलर इनवर्टर और हैवी ड्यूटी बैटरी भी लगती है। सोलर पैनल से पैदा हुई डीसी (DC) करंट को इनवर्टर एसी (AC) में बदल देता है, जिससे एसी और अन्य उपकरण आसानी से चलाए जा सकते हैं।
रात के समय बैटरी सपोर्ट से बिजली मिलती है, लेकिन 1.5 टन के एसी को बैटरी से सिर्फ 2-3 घंटे ही चलाया जा सकता है। यदि आप रात में भी लगातार एसी चलाना चाहते हैं, तो बेहतर होगा कि ऑन-ग्रिड या हाइब्रिड सोलर सिस्टम लगवाएं।
कौन-सा सोलर सिस्टम रहेगा बेहतर?
हाइब्रिड सोलर सिस्टम सबसे ज्यादा फायदेमंद माना जाता है। इसमें न सिर्फ आपका बिजली बिल कम होगा, बल्कि पावर कट की समस्या से भी निजात मिलेगी। दिन में जो अतिरिक्त बिजली आपके पैनल पैदा करेंगे, वह ग्रिड में भेजी जा सकती है और उस पर आपको क्रेडिट मिलेगा। रात में जब सोलर पावर नहीं बन रही होती, तब आप उसी क्रेडिट से बिजली उपयोग कर सकते हैं।
ऑन-ग्रिड सिस्टम लगाने के लिए आपको बिजली विभाग से अनुमति लेनी होगी। इसमें दिन में पैनल काम करते हैं और रात में घर की जरूरतें ग्रिड से पूरी होती हैं।