फरीदाबाद न्यूज़

Khedi Badi: किसान भाइयों के लिए ATM मशीन से कम नहीं है भिंडी की ये किस्म, एक बार उगाने से होती रहती है पैसों की बारिश

नई दिल्ली :- फरीदाबाद जिले के बल्लभगढ़ क्षेत्र के डीग गांव के किसान इन दिनों भिंडी की खेती से अच्छी आमदनी कमा रहे हैं। यहां कई किसान बटाई पर खेत लेकर मेहनत से फसल उगा रहे हैं और कनूका नाम की देसी किस्म से बढ़िया भिंडी उत्पादन कर पा रहे हैं। यह वैरायटी इस मौसम की सबसे बेहतर किस्म मानी जा रही है क्योंकि इसमें कीड़े कम लगते हैं और ज्यादा पानी की जरूरत भी नहीं होती। इस वजह से इसकी लागत भी कम आती है और बाजार में मांग बनी रहती है। मंडी में भिंडी के दाम 30 से 35 रुपये प्रति किलो मिल रहे हैं जिससे किसानों को अच्छा लाभ हो रहा है।

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शाहजहांपुर जिले के रहने वाले हैं विकास

किसान विकास, जो उत्तर प्रदेश के शाहजहांपुर जिले के रहने वाले हैं, पिछले कुछ सालों से डीग गांव में खेत बटाई पर लेकर खेती कर रहे हैं। उन्होंने एक किले में भिंडी की फसल लगाई है। बटाई की व्यवस्था के अनुसार बीज और दवाइयों का खर्च खेत मालिक और किसान आधा-आधा उठाते हैं जबकि मजदूरी का काम किसान स्वयं करता है। खेती से होने वाली आमदनी दोनों के बीच तय हिस्से में बंटती है।

20 दिन में हो जाती है तैयार 

भिंडी की फसल लगाने के लिए खेत की पहले तीन से चार बार जुताई की जाती है। इसके बाद डीएपी और पोटाश खाद दी जाती है। जब पौधे की उम्र करीब 20 दिन हो जाती है तो एक बार फिर जुताई करनी पड़ती है ताकि मिट्टी नरम बनी रहे और पौधे अच्छे से बढ़ें। यह फसल करीब 40 दिन में तैयार हो जाती है और दिवाली तक चलती है। हर तीसरे दिन भिंडी की तुड़ाई होती है और एक बार की तुड़ाई से 8 से 9 हजार रुपये तक की आमदनी हो जाती है।

दवा का छिड़काव जरुरी 

अगर फसल में कीटों का प्रकोप होता है तो उस समय किसान दवा का छिड़काव करते हैं जिससे भिंडी की गुणवत्ता बनी रहती है। यही वजह है कि उनकी भिंडी बेहतर दामों में बिक रही है और बाकी किस्मों की तुलना में मंडी में अधिक पसंद की जा रही है। किसान विकास की कहानी प्रेरणादायक है। उन्होंने आठवीं कक्षा के बाद पढ़ाई छोड़ दी थी लेकिन खेती के प्रति रुचि बनाए रखी। आज यही खेती उनके परिवार की आय का मुख्य स्रोत बन चुकी है। इस बार गांव के कई अन्य किसानों ने भी भिंडी की फसल लगाई, लेकिन गलत वैरायटी चुनने के कारण उन्हें वैसी सफलता नहीं मिल पाई जैसी सही किस्म और मेहनत के बल पर विकास को मिली है। डीग गांव के किसान यह दिखा रहे हैं कि यदि मेहनत के साथ सही तकनीक और उपयुक्त किस्म का चयन किया जाए तो कम संसाधनों में भी खेती से अच्छा मुनाफा कमाया जा सकता है।

Author Meenu Rajput

नमस्कार मेरा नाम मीनू राजपूत है. मैं 2022 से खबरी एक्सप्रेस पर बतौर कंटेंट राइटर काम करती हूँ. मैंने बीकॉम, ऍम कॉम तक़ पढ़ाई की है. मैं प्रतिदिन हरियाणा की सभी ब्रेकिंग न्यूज पाठकों तक पहुंचाती हूँ. मेरी हमेशा कोशिश रहती है कि मैं अपना काम अच्छी तरह से करू और आप लोगों तक सबसे पहले न्यूज़ पंहुचा सकूँ. जिससे आप लोगों को समय पर और सबसे पहले जानकारी मिल जाए. मेरा उद्देशय आप सभी तक Haryana News सबसे पहले पहुँचाना है.

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