हरियाणा की अनाज मंडी में बैग की सिलाई में घोटाला, सरकार दे रही 2.12 रुपए पर मजदूरों को मिला एक रुपया
करनाल :- करनाल अनाज मंडी में सिलाई के काम को लेकर बड़ा घोटाला सामने आया है। यहां करीब 26 लाख गेहूं के कट्टों की सिलाई हो चुकी है, लेकिन ठेकेदार को भुगतान अधूरा मिला है। ठेकेदार ने मंडी प्रधान और आढ़तियों पर “एडजस्टमेंट” के नाम पर पैसे दबाने का आरोप लगाया है।
ठेकेदार ने लगाए 100 कर्मचारी, सिर्फ 7-8 लाख ही मिले
सिलाई का ठेका लेने वाले चंद्रवली यादव ने बताया कि उन्होंने अपने साथी अहमद चौधरी के साथ करनाल, मुनक, निगदू और पिल्लुखेड़ा मंडियों में काम किया। उन्होंने बताया कि अब तक 30 लाख गेहूं के कट्टे आए, जिनमें से 26 लाख से ज्यादा की सिलाई हो चुकी है।
“हमें सिर्फ ₹1 प्रति कट्टा देने का वादा किया गया था, सारा मटेरियल और लेबर हमारी तरफ से था। लेकिन अभी तक सिर्फ ₹7-8 लाख ही मिले हैं।”
ठेके की बोली आढ़तियों की पंचायत में होती है
चंद्रवली ने बताया कि मंडी में ठेका देने के लिए 5-7 ठेकेदारों के बीच बोली होती है, जिसे आढ़ती आपस में बैठकर तय करते हैं।
इसमें मंडी एसोसिएशन के प्रधान सुरेंद्र त्यागी का मुख्य रोल होता है।
प्रधान बोले – ठेका आढ़ती देते हैं, सरकार से लेना-देना नहीं
मंडी प्रधान सुरेंद्र त्यागी ने कहा,
“इस बार सिलाई का काम अच्छे से हुआ। 85 मजदूर लगाए गए थे।”
जब उनसे पूछा गया कि सरकार से तो ₹2.12 प्रति कट्टा मिलता है, लेकिन ठेकेदार को सिर्फ ₹1 क्यों मिला?
तो उनका जवाब था कि बाकी पैसा सीधा आढ़तियों के पास जाता है, न कि सरकार के पास। उन्होंने यह भी कहा कि कई बार सीजन के अनुसार “एडजस्टमेंट” हो जाती है।
ठेकेदार बोला – मेहनत हमारी, फायदा किसी और का
चंद्रवली का कहना है कि उन्हें बार-बार मंडी के चक्कर लगाने पड़ रहे हैं।
“हमने मशीनें, धागा और लेबर सब खुद लगाई, लेकिन पूरा पैसा नहीं मिला। मेहनत हमारी, और फायदा आढ़ती उठा रहे हैं।”